नई दिल्ली, 11 मार्च। अपनी उपेक्षा के चलते कल ही कांग्रेस को अलविदा कहने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने आज भाजपा मुख्यालय में भारतीय जनता पार्टी की प्राथमिक सदस्यता ले ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह व राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से कल मुलाकात के बाद आज भाजपा मुख्यालय में राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, मध्यप्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे व मध्यप्रदेश इकाई के अध्यक्ष बी डी शर्मा की मौजूदगी में सिंधिया ने भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा। कांग्रेस से इस्तीफा देकर मध्यप्रदेश की राजनीति में भूचाल लाने वाले सिंधिया के भाजपा में शामिल होने के बाद मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार गिरना तय हो गया है। सिंधिया के समर्थन में मध्यप्रदेश के 22 कांग्रेस विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष को अपनी विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा सौंप दिया है, इनमें 6 मंत्री भी शामिल हैं। इस तरह कमलनाथ सरकार मध्यप्रदेश में अल्पमत में आ गई है और अब उसका जाना तय है। भाजपा सूत्रों के अनुसार कुल कांग्रेस व अन्य के कुल 30 विधायक उनके संपर्क में हैं। *सिंधिया बनेंगे केंद्र में मंत्री व शिवराज बनेंगे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री* भाजपा की रणनीति के अनुसार शिवराज सिंह चौहान मध्यप्रदेश में अगली सरकार के मुखिया होंगे और ज्योतिरादित्य सिंधिया को राज्यसभा में लेकर केंद्र में मंत्री बनाया जाएगा साथ ही समर्थक सभी विधायकों की विधानसभाओं में दोबारा चुनाव कराकर उन्हें मलाईदार पदों से नवाजा जाएगा। कांग्रेस सरकार को समर्थन दे रहे बसपा के एक व सपा के एक विधायक के भी शिवराज सिंह चौहान से मिलने के बाद भाजपा को समर्थन देने की खबर है। इस तरह मध्यप्रदेश में 15 माह पुरानी कांग्रेस की कमलनाथ सरकार का जाना तय है और आने आने वाला समय मध्यप्रदेश की राजनीति मैं भाजपा की सरकार के रूप में देखा जा सकता है। *भाजपा विधायक गुरुग्राम व काग्रेस विधायक जयपुर भेजें गये* सत्ता बचाने व सत्ता पाने की कवायद में जुटी कांग्रेस व भाजपा ने अपने - अपने विधायकों को मध्यप्रदेश से दूर सुरक्षित स्थानों पर भेज दिया है। जहां कांग्रेस के विधायकों को आज जयपुर भेज दिया गया वहीं भाजपा ने कल ही अपने विधायकों को गुरुग्राम भेज दिया था अब दोनों दलों के विधायकों को सीधे विधानसभा में बहुमत साबित होने के दौरान ही भोपाल लाया जाएगा।
भाजपा में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया, कमलनाथ सरकार गिरना तय?/ जीतेन्द्र रिछारिया