. अभी तो संकटमय समय है... फ्रंट लाइन के योद्धाओ के पास खुद को सुरक्षित करने की सुविधाएं नहीं है. मास्क नहीं है, पीपीई पोशाक नहीं है ओर चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े लोग खुलकर अपनी व्यथा बता रहे है. शर्मनाक की जो इस खतरे के योद्धा है वो भी वायरस का शिकार होते जा रहे है. जनवरी मे हमारे देश मे पहला संक्रमित मिला था. तब जैसे हमारे देश का चलन है कागजो मे जानलेवा वायरस घूम रहा था. सरकारों पर कब्जे की कोशिश सफल हो रही थी. प्रयास जानलेवा कोरोना से बचना नहीं था बल्कि देश मे आधिपत्य हासिल करना था. जिस अमेरिका के ट्रम्प के आगमन पर करोडो खर्च कर दिए वह अमेरिका तो डूब रहा हैं उसने ट्रम्प के स्वागत के चककर मे हमारे देश को भी ध्यान हटाकर संक्रमित कर दिया. मप्र मे हो सकता है कि ये सनसनी खुलासा हो कि जो हरे रंग के मास्क स्वाथ्यकर्मी पहनें है वो अस्पतालो मे काम आ चुके वेस्ट कपडे के है. ये तो जांच का विषय है कि मार्च माह के तीसरा सप्ताह मे स्वाथ्य विभाग के बढे अधिकारी ने विडिओ कॉन्फ्रेसिंग मे आदेश दिया था कि अस्पताल मे उपयोग होने वाले जो हरे रंग के कपडे अनुपयोगी हो चुके है उनके मास्क बनाये जाये. क्या ये आदेश हुआ है तो कहाँ तक जानलेवा वायरस से लड़ने के लिए उपयोगी होगा? अगर ऐसा है तो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. जब स्वाथ्यकर्मी सुरक्षित नहीं होंगे तो आम जनता कैसे. यही सावल है ओर कटु सच है कि देशभर से डॉक्टर ओर कर्मी खुद कि जान के लिए सुविधाएं मांग रहे है जो मिल नहीं रही फिर भी बिना हथियार के डटे है जिन्हे सलाम है. पर क्या उनके परिवार की रक्षा करने का दायित्व किसका है. अब प्रश्न की कोरोना वायरस से कई की मौत हो गई ओर कई जूझ रहे है, कई बेरोजगार हो गए, लाखो मे पलायन कर गए ओर करोडो मे वो है जिनके चूल्हे बंद हो गये जिनके रहनुमा वो है जो समाज की सेवा कर रहे है. आखिर हुजूर ये तो बता दो की क्या योजना है कोरोना जानलेवा वायरस से लड़ने की. कब फ्रंट लाइन योद्धाओ को खुद से लड़ने के उपकरण मिलेंगे? हुजूर जब बोल सकते है तो आम नागरिक भी बोल सकता है क्यों की हुजूर को हुजूर बनाने वाला नागरिक ही है. फिर दिया बेशक़ जलायेगे ओर दिवाली भी मनाएंगे पहले हुजूर तो अपनी असली जिम्मेदारी निभाए. भक्त गाली ना दे क्यों कि वो भी सच जानते है फिर कुछ लिखने से पहले सच को स्वीकार करते हुए देशभक्ति दिखाए वरना असली देशद्रोही वहीँ है जो तोता का पाठ पड़ते है. जय हिन्द ओर राम - राम
हुजूर दिवाली तो तब मनेगी जब हम देशवासी अप्रत्यक्ष दुश्मन कोरोना पर विजय का पताका लहरा देंगे / धीरज चतुर्वेदी