छतरपुर 08 अप्रैल। छतरपुर शहर सहित पूरे जिले मै ब्लैक मै बिकती शराब और माफियाओ के फंदे मै प्रशासन? क्या गजब माया का जाल है की गरीब रोटी का मोहताज है. किराना दुकानों मै आवश्यक सामान की कमी होती जा रही है पर शराब माफियाओ की मौज कट रही है. यानि कोरोना के दौर मै शराब माफियाओ की बल्ले-बल्ले. लॉक डाउन मै सब कुछ लॉक है. शराब की दुकाने भी लॉक है पर शराब की होम डिलेवरी यथावत शुरू है. अब प्रश्न है की क्या बिना प्रशासनिक मिलीभगत के ये दुःसाहस हो सकता है? सुनने मै आया है की पुलिस के कुछ अधिकारी और कर्मी व साथ मै आबकारी महकमा खुद माफिया का काम कर शराब माफियाओ की मुमताज़ बन गया है. नुक्ते के रेट बढ़ा दिये गए तो जरूरत को देख माफियाओ ने मनमाफिक रेट कर दिये है वो भी चार गुना तक. सवाल है की जब शराब की दुकाने बंद है तो खुले रूप मै कैसे शराब बेचीं जा रही है. इसका सबूत है की मप्र के एक न्यूज़ चैनल ने सरकारी वाहन मै शराब की तस्करी को उजागर किया है. दमोह शहर मै एक शराब दुकान को खोलकर उसमे से अंग्रेजी शराब की पेटिया एक उस वाहन मै रखी जा रही थी जिसमे मप्र शासन लिखा हुआ था. क्या छतरपुर मै भी यही खेल हो रहे, स्वतः संदेह पैदा करता है. अब देखना है मुजरा नाच मै अंतर आता है या माफियाओ की हमजोली से मुजरा चलता रहेगा और शराब बिकती रहेगी चाहे लॉक डाउन क्यों ना हो।
क्या अधिकारियो की मुमताज़ है शराब माफिया ? लॉक डाउन मै भी मधुशाला की मधु पर रोक नहीं...... / धीरज चतुर्वेदी