लॉक डाउन में मजदूर ने की आत्महत्या : टूट गई है माला मोती बिखर चले ……… / सुरेन्द्र अग्रवाल

                            मां मैं सुबह पहुंच जाऊंगा………………………  पहुंची लाश …………………. बेटे ने मां से एक दिन पहले ही फोन पर वादा किया था और बोला था कि में अपने बुंदेलखंड के छतरपुर में आ गया हूँ …….….…. पत्नी और बेटे  पिता का हाल भी जाना… बोला मां मैं बहुत थक गया हूं… पिछले 15 दिन से चल रहा हूँ………………… मां की अखियां तरसती रही बेटे के जिंदा आने की लेकिन सूचना मिली कि बेटे ने रास्ते में ही फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है………………………घर पहुंचने से ही पहले करली जीवन  लीला समाप्त ……. रेल पटरियों पर नेता बिछा रहे हैं अपनी सियासत…………………………………… बुंदेलखंड के सागर जिले  के गांव हरदी का रहने वाला संतोष रैकवार  करीब 4 माह पहले  मजदूरी करने पूना  गया था लॉक डाउन में एक उसे उम्मीद थी कि काम मिलेगा लेकिन जब काम नहीं मिला तो वह अपने घर की ओर चल दिया पैदल कहीं लिफ्ट लेकर ट्रक मिला तो कहीं पैदल चला 14 मई को छतरपुर जिले की सीमा में प्रवेश कर गया था घर में बूढ़े मां बाप पत्नी और एक बेटा है जो सभी मजदूरी करते हैं छतरपुर पहुंचते ही इस बेटे ने मां को दिलासा दी की मां मैं सुबह घर पहुंच जाऊंगा लेकिन छतरपुर से सागर रोड पर अनगौर गांव के पास हॉस्पिटल के सामने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली …………किस उम्मीद लेकर के परिवार के बीच पहुंचता मुखिया ………………………
……लॉक डाउन के  50 दिनों में सब कुछ लुट चुका था ना बच्चों के कपड़े लेने के लिए पैसे थे ना घर में भोजन खरीदने के लिए पैसा यह कैसी नियत है भगवान तेरी कि एक इंसान जब उम्मीदें लेकर पैदल चला था तो घर पहुंचते-पहुंचते उसके पास कुछ नहीं बचा अब उस परिवार पर क्या बीत रही होगी जिसके बच्चे पिता का इंतजार कर रहे थे तो एक बूढ़ी मां अपने बेटे का  कुछ कमा कर लाने का तो परिवार में खुशियां होगी लेकिन तुमने तो दुख का पहाड़ दे दिया मां को बच्चों और पत्नी को इनका क्या कसूर था …………………………………शासन की नीतियों ने आत्महत्या करने के लिए मजबूर कर दिया ………?बुंदेलखंड में चौथे मजदूर की मौत………… इसके पहले पन्ना दमोह  के क्वॉरेंटाइन सेंटरों में शासन की व्यवस्थाओं से तंग होकर मजदूर आत्महत्या कर चुके हैं और टीकमगढ़ में काम के अभाव में मजदूर ने  फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली यह चौथी मौत है जहां मजदूर ने मजबूर होकर के अपने परिवार के पास पहुंचने से पहले फांसी लगाकर रास्ते में ही मौत को गले लगा लिया……….कवि प्रदीप की 2 लाइनें  ……… टूट गई है माला मोती बिखर चले।  दो दिन रह कर साथ जाने किधर चले।।………. सादर श्रद्धांजलि,