वैसे तो पूरे देश भर से प्रवासी मजदूरों का अपने वतन लौटने का क्रम लगातार जारी है लेकिन महाराष्ट्र से उत्तर प्रदेश की ओर वापसी चौंकाने वाली है।ऐसा लगता है कि इन शिल्पकारों से पूरा महाराष्ट्र खाली हो सकता है।
अग्रवाल समाज छतरपुर द्वारा आकाशवाणी तिराहे पर आयोजित सेवा कार्य के दूसरे दिन कुछ समय गुजारने का समय मिला तो ऐसा लगा जैसे घडी की रफ्तार थम गई हो।
एक तरफ श्रृमिक ट्रेन और बसों से सैकड़ों शिल्पकार रोजाना आ रहे हैं और प्रशासन का दम फूल जा रहा है।आज ही ट्रेन से जो शिल्पकार आए तो उनकी तादाद अनुमान से ज्यादा हो गई थी।जिससे प्रशासनिक व्यवस्थाएं कुछ समय के लिए छिन्न भिन्न हो गई।लेकिन फिर भी उसे संभाल लिया गया था।
इधर आकाशवाणी तिराहे पर स्कूटी, मोटरसाइकिल, आटो और ट्रकों से एक साथ ऐसा रेला टूट पडा़ कि सेवा करने वाले हांथ कम पढ गए थे।
अपनी पत्नी और बच्चों को लेकर मोटर साईकिल सवार युवक पूना से गोंडा (इलाहाबाद के पास) जा रहा था।उसकी आंखें शोलों की तरह दहक रहीं थीं।चार दिन की लगातार यात्रा के कारण वह ढंग से सो भी नहीं पाया है और मंजिल अभी बहुत दूर है।
इसी तरह अन्य शिल्पकार कोई बहराइच, भदोही ,जौनपुर आदि जा रहा है।मतलब यह है कि सभी उत्तर प्रदेश वापिस लौट रहे हैं।इन लोगों ने बताया कि महाराष्ट्र से रोज करीब डेढ़ लाख लोग अपने घरों की ओर वापिस लौट रहे हैं।
लोक डाउन में पलायन: महाराष्ट्र टू उत्तरप्रदेश / सुरेन्द्र अग्रवाल